पेड़ पानी से ख़फ़ा लगता है (ग़ज़ल)

पेड़ पानी से ख़फ़ा लगता है
बाढ़ आई थी, पता लगता है
ख़ाली जगहें यूँ न रखिए साहिब
इश्तिहारों को बुरा लगता है
हाशिए जब से हुए हैं रौशन
रंग-ए-तहज़ीब उड़ा लगता है
जब कि हाथों की थमी है सिहरन
क्यों लरज़ता सा छुरा लगता है?
क्या करे कोई भला इस दिल का?
जो न लग कर भी लगा लगता है
बेबसी है या कि ये सद्मा है?
जो गुज़रता है ख़ुदा लगता है
- विश्वजीत

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